हरियाणा के चूहड़पुर गांव का नाम बदलकर चांदपुर हुआ: 20 साल बाद पूरा हुआ वादा
Haryana News: हरियाणा के जींद जिले स्थित चूहड़पुर गांव का नाम 20 साल बाद बदलकर चांदपुर रख दिया गया है। यह बदलाव एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है, जिसमें कई सालों का समय लगा और सरकारी प्रशासन से लेकर ग्रामीणों की तरफ से लगातार प्रयास किए गए। इस बदलाव को लेकर गांव वालों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है, जो कि आज के समय में एक महत्वपूर्ण समाचार बनकर सामने आया है।
20 सालों का लंबा सफर
चूहड़पुर गांव का नाम बदलने की कहानी करीब 20 साल पुरानी है। गांव के लोग नाम में बदलाव की मांग लंबे समय से कर रहे थे। उनका कहना था कि चूहड़पुर नाम बोलने में कठिनाई पैदा करता था और यह नाम गांव की संस्कृति और इतिहास के अनुकूल नहीं था। इस कारण, 2005 में गांव वालों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओपी चौटाला से मुलाकात की और इस मुद्दे को उठाया। ओपी चौटाला ने गांव का नाम बदलने का वादा किया था, लेकिन प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया के चलते यह वादा 20 सालों तक अधूरा रहा।
गांव का नया नाम: चांदपुर
अब 20 साल बाद, चूहड़पुर गांव का नाम बदलकर चांदपुर रख दिया गया है। जींद-कैथल रोड पर स्थित यह गांव अब चांदपुर के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने के इस फैसले को लेकर गांव के लोग खुश हैं और उनका मानना है कि यह बदलाव न केवल नाम में, बल्कि उनकी पहचान और गर्व में भी एक नया आयाम जोड़ने वाला है। सरपंच राजेश नरवाल के अनुसार, यह नाम गांव के इतिहास और परंपरा से मेल खाता है।
चूड़िया से चांदपुर तक का सफर
चूहड़पुर नाम की उत्पत्ति से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है। सरपंच राजेश नरवाल ने बताया कि करीब 200 साल पहले बांगर गोत्र के एक व्यक्ति चूड़िया ने इस गांव की स्थापना की थी। उन्होंने अपने परिवार के साथ यहां आकर बसना शुरू किया और बाद में अन्य लोग भी यहां आकर बसने लगे। चूड़िया के नाम पर ही इस गांव का नाम चूहड़पुर रखा गया। हालांकि, समय के साथ यह नाम बोलने में कठिनाई का कारण बन गया, खासकर जब गांव के लोग इसे सार्वजनिक रूप से बोलते थे। इसके बाद गांववासियों ने इसे बदलने की मांग की थी।
ओपी चौटाला से लेकर आज तक
2005 में जब ओपी चौटाला मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने गांव के लोगों से पूछा था कि वे इसे किस नाम से पुकारना चाहेंगे। तब गांववासियों ने चांदपुर नाम सुझाया था, जिसे ओपी चौटाला ने स्वीकार कर लिया था और नाम बदलने का वादा किया था। हालांकि, इसके बाद कई प्रशासनिक अड़चनों और चुनावी प्रक्रियाओं के कारण नाम में बदलाव में देरी हुई।
पूर्व सरपंचों और गांव के लोगों ने मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया, जिससे यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन 2022 में जब नई पंचायत बनी, तो गांववासियों ने फिर से इस मुद्दे को उठाया और सरकार से नाम बदलने की मांग की। इसके बाद सरकार ने इस मांग पर विचार किया और आखिरकार गांव का नाम बदलकर चांदपुर कर दिया।
चांदपुर का नाम अब हरियाणा के एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक बन गया है। 20 साल की लंबी प्रक्रिया के बाद यह बदलाव हुआ, जो गांववासियों की लगातार मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। यह नाम न केवल गांव की पहचान को एक नया रूप देता है, बल्कि यह दर्शाता है कि यदि किसी मुद्दे पर गांववाले एकजुट होते हैं और प्रशासनिक समर्थन मिलता है, तो बड़े बदलाव संभव हैं। अब चांदपुर गांव एक नई पहचान के साथ उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ रहा है।