हरियाणा स्कूल हॉलिडे: हरियाणा के सभी स्कूलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, SC करेगा फैसला

हरियाणा स्कूल हॉलिडे: हरियाणा के सभी स्कूलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, SC करेगा फैसला

नई दिल्ली: हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण, इस समय स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के संचालन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर, सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया कि वह दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में शारीरिक कक्षाओं पर प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार करे। यह आदेश पिछले सप्ताह से लागू किए गए प्रतिबंधों को लेकर दिया गया है, जब क्षेत्र में प्रदूषण स्तर अत्यधिक बढ़ गया था।

वायु प्रदूषण के कारण स्कूलों की बंदी

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उस समय लिया जब वंचित वर्ग और विशेष जरूरतों वाले बच्चों के अभिभावकों ने शारीरिक कक्षाएं फिर से शुरू करने की मांग की थी। इन अभिभावकों ने अदालत में कहा कि बहुत से परिवारों के पास इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का अभाव है, जिससे वे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं। इसके चलते बच्चों की शिक्षा में गंभीर रुकावटें आ रही हैं।

हरियाणा के झज्जर और बहादुरगढ़ जिले के जिला कलेक्टर प्रदीप दहिया ने भी प्रदूषण को देखते हुए 25 नवंबर तक सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया था। यह आदेश प्ले ग्रुप से लेकर कक्षा 12वीं तक के स्कूलों के लिए था। यह कदम वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए उठाया गया था।

प्रदूषण की स्थिति और स्वास्थ्य पर असर

दिल्ली, नोएडा, हरियाणा और आसपास के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस समय बेहद खतरनाक स्थिति में है। कोहरे और धुंध के कारण दृश्यता में भी कमी आई है, जिससे बच्चों और वृद्धों के लिए बाहर निकलना खतरनाक हो गया है। इन इलाकों में रहने वाले लोग सर्दी, जुकाम, खांसी, सिरदर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से, बच्चों और बुजुर्गों को वायु प्रदूषण के कारण सांस लेने में कठिनाई हो रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

वायु प्रदूषण के कारण सरकार और प्रशासन के लिए यह एक चुनौती बन गई है कि वे किस तरह से बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करें, जबकि उनकी सेहत को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को भी बंद रखना जरूरी है। ऐसे में, ऑनलाइन शिक्षा का विकल्प दिया गया है, लेकिन बहुत से परिवारों के पास इसका इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त संसाधन नहीं हैं, जो बच्चों की शिक्षा में अवरोध उत्पन्न कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएक्यूएम को यह निर्देश दिया गया है कि वह शारीरिक कक्षाओं पर प्रतिबंधों में ढील देने के बारे में विचार करें। कोर्ट ने कहा कि शारीरिक कक्षाएं और आंतरविद्यालय गतिविधियां बच्चों की शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन बच्चों की सेहत से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सीएक्यूएम इस मामले में आज तक अपना निर्णय दे, ताकि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।

हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार स्कूलों को कब फिर से खोलने की अनुमति देगी, लेकिन प्रदूषण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी पक्षों से विचार विमर्श जारी है।

हरियाणा सरकार की पहल

हरियाणा सरकार ने वायु गुणवत्ता को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि बच्चों की सेहत को नुकसान न पहुंचे। झज्जर और बहादुरगढ़ के जिलों में स्कूलों को बंद रखने का निर्णय इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके अलावा, स्कूलों को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों तक पहुँचने की कोशिश की जा रही है।

हालांकि, यह भी सच है कि सभी बच्चों के पास इंटरनेट सुविधा और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स नहीं होते, जिससे शिक्षा में असमानता पैदा हो रही है। ऐसे में सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी बच्चों को समान शिक्षा का अवसर मिले, चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।

हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण स्कूलों के बंद रहने की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। बच्चों की सेहत और शिक्षा दोनों को सुनिश्चित करने के लिए सही कदम उठाए जा रहे हैं। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएक्यूएम को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि वह शारीरिक कक्षाओं के बारे में निर्णय लें। इसके साथ ही, सरकार और प्रशासन के लिए यह चुनौती भी है कि वे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराएं, बिना उनके स्वास्थ्य को खतरे में डाले।

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