हरियाणा के कैथल में जबरन डिलीवरी से जच्चा-बच्चा की मौत, प्राइवेट अस्पताल का डॉक्टर स्टाफ समेत फरार

हरियाणा के कैथल में जबरन डिलीवरी से जच्चा-बच्चा की मौत, प्राइवेट अस्पताल का डॉक्टर स्टाफ समेत फरार

हरियाणा के कैथल जिले में एक प्राइवेट अस्पताल में जबरन डिलीवरी करने के कारण जच्चा-बच्चा की मौत का मामला सामने आया है। यह घटना बीते शनिवार को चीका के सार्थक अस्पताल में घटी, जब एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उसकी और उसके बच्चे की जान चली गई। घटना के बाद अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ फरार हो गए, जिसके बाद परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।

महिला की हालत बिगड़ी, डॉक्टरों ने की लापरवाही

जानकारी के अनुसार, करनाल के चानचक गांव की 35 वर्षीय सुनीता गर्भवती थी। शनिवार को जब उसे डिलीवरी के दर्द की शुरुआत हुई, तो वह अपने परिजनों के साथ चीका स्थित सार्थक प्राइवेट अस्पताल पहुंची। अस्पताल में पहुंचने के बाद, डॉक्टरों ने सुनीता की डिलीवरी के लिए जबरदस्ती करना शुरू कर दिया। डॉक्टरों द्वारा डिलीवरी के लिए अत्यधिक दबाव डाला गया, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे की मौत जन्म से पहले ही हो गई।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि सब कुछ ठीक है, जबकि सुनीता की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। करीब 3 से 4 घंटे तक जबरदस्ती की प्रक्रिया जारी रही, और उस समय डॉक्टरों ने यह झूठ बोलकर स्थिति को सामान्य बताया कि सब ठीक है।

अस्पताल में इलाज के दौरान सुनीता की हालत गंभीर

चूंकि सुनीता की हालत बिगड़ती जा रही थी, डॉक्टरों ने उसे पटियाला स्थित एक प्राइवेट अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। हालांकि, जैसे ही महिला को अस्पताल ले जाया गया, रास्ते में उसकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि पटियाला पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। परिजनों के अनुसार, जब उन्हें सुनीता की स्थिति के बारे में डॉक्टरों से सच बताया गया, तो उन्होंने उनकी कोई भी बात नहीं मानी।

परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाए, डॉक्टर हुए फरार

सुनीता के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया और उनका कहना था कि यदि डिलीवरी को समय पर सही तरीके से किया जाता, तो महिला और बच्चे दोनों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने सुनीता के शव को पटियाला से वापस चीका लाकर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन जैसे ही हंगामा बढ़ा, डॉक्टर और उनका स्टाफ अस्पताल छोड़कर फरार हो गए।

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

इसके बाद परिजनों ने इस गंभीर मामले की शिकायत पुलिस में दी। चीका थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने पुलिस बल के साथ घटनास्थल का दौरा किया और कार्रवाई का आश्वासन दिया। पुलिस ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी गई है और डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

क्या यह लापरवाही स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति अविश्वास को बढ़ावा देती है?

यह घटना केवल एक परिवार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं है, बल्कि यह हरियाणा की स्वास्थ्य व्यवस्था में गहरी लापरवाही की ओर भी इशारा करती है। प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य सेवा में व्याप्त अव्यवस्थाओं को उजागर करती है। जबकि सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे मामले लगातार यह दर्शाते हैं कि प्राइवेट अस्पतालों में आमतौर पर मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन को लेकर अधिकतर प्राथमिकता मुनाफे को दी जाती है।

यह घटना समाज में स्वास्थ्य सेवा के प्रति विश्वास को भी कमजोर करती है। जब अस्पतालों में डॉक्टर और स्टाफ इस तरह की लापरवाही बरतते हैं, तो जनता के बीच एक डर और असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। इस तरह के मामलों में यदि जल्दी से त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह और अधिक विकट स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
हरियाणा के कैथल में घटित यह घटना एक कड़ी चेतावनी है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन यह जरूरी है कि अस्पतालों में इस तरह की लापरवाही पर कड़ी नजर रखी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। हर नागरिक का यह हक है कि उसे गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, और इसके लिए जिम्मेदार संस्थाओं को अपनी जवाबदेही निभानी चाहिए।

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